Supreme Court News : सरकारी कर्मचारियों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाए हैं। वही यह फैसला कर्मचारियों के प्रमोशन के अधिकार से जुड़े हुए हैं। बता दे कि अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कई बातों को क्लियर कर दिए हैं। वहीं इसके बाद प्रमोशन को लेकर कर्मचारियों की तमाम कन्फ्यूजन भी दूर हो गए हैं। आईए जानते हैं क्या कहे हैं सुप्रीम कोर्ट ने।
बता दे की सरकारी नौकरी करने वाले कर्मचारियों के बीच प्रमोशन का मुद्दा हमेशा बना हुआ देखा जाता है। बता दे कि अधिकतर कर्मचारी नौकरी प्रमोशन के अधिकार को लेकर भी कंफ्यूज में बने रहते हैं। वहीं इस मुद्दे पर कई सवाल भी उठते रहते हैं। आईए और जानते हैं नीचे की लेख में पूरी जानकारी विस्तार से।
वहीं अब देश की शीर्ष अदालत ने प्रमोशन के अधिकार पर ऐतिहासिक फैसला सुनाए हैं। बता दे कि अब कर्मचारियों के बीच प्रमोशन के अधिकार को लेकर उठने वाले सवालों पर भी विराम लग गए हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की सरकारी कर्मचारियों में खूब चर्चाएं होते हुए देखे जा रहे हैं।
Supreme Court News : कर्मचारियों को नहीं दावा करने का अधिकार
बता दे कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन से जुड़े एक मामले में क्लियर कर दिए हैं कि किसी भी सरकारी कर्मचारियों को प्रमोशन के अधिकार को लेकर दावा करने का हक नहीं होते हैं।
वही कानून में प्रमोशन के अधिकार को लेकर कई प्रावधान होने से कोर्ट ने साफ मना किए हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों में किसी प्रकार की दखलंदाजी करने से भी इनकार किए हैं। बता दे कि इस मुद्दे को सर से अदालत ने सरकार के स्तर का मुद्दा बताए हैं। आईए और जानते हैं नीचे की लेख में पूरी जानकारी विस्तार से।
Supreme Court News : सरकार के अधिकार क्षेत्र का है प्रमोशन का मामला
बता दे कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने शब्दों में कहे हैं कि किसी सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन का मुद्दा सरकार के अधिकार क्षेत्र का मुद्दा होता है। वही कानूनी प्रावधान न होने के कारण इसमें कोर्ट का कोई दखलअंदाज नहीं है।
बता दे कि सुप्रीम कोर्ट ने यह अभी क्लियर कर दिए हैं की प्रमोशन का अधिकार किसी सरकारी कर्मचारियों के संवैधिक अधिकारों में शामिल नहीं हुए हैं। वहीं इस मामले में राज्य या केंद्र सरकार ही अपने स्तर पर कोई नियम तय कर सकते हैं। बता दे कि इन नियमों में कोई असमानता या भेदभाव कर्मचारियों के साथ होते हैं। तो कोर्ट उसे मामले में संविधान की धारा 16 के तहत विचार कर सकते हैं।
यह था मामला
बता दे कि जिस मामले में शीर्षक अदालत ने यह फैसला सुना हैं। वह गुजरात के एक जिला जज के चयन से जुड़े थे। बता दे कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्लियर कर दिए हैं। कि किसी कर्मचारी का प्रमोशन करना राज्य एवं केंद्र सरकार का काम न कि कानून का
वही इस फैसले से अनेक सरकारी कर्मचारियों को तगड़ा झटका लगा है। आईए और जानते हैं नीचे की लेख में पूरी जानकारी विस्तार से।
कोर्ट के फैसले से यह बात भी हुए हैं स्पष्ट
बता दे कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह बात भी स्पष्ट होता हुआ देखा जा रहा है कि बेशक प्रमोशन को लेकर सरकारी कर्मचारी दवा न कर सके और वोट इसमें दखलअंदाजी ना करें लेकिन संविधान की धारा 16 के अनुसार सामान्य का अधिकार सरकारी कर्मचारी का संवैधिक अधिकार है
वही इस अधिकार का उल्लंघन होते हैं तो सरकारी कर्मचारी दावा ठोक सकते हैं और कोर्ट इस पर विचार करते हुए दखलअंदाजी कर सकते हैं
प्रमोशन के लिए विभागीय व्यवस्था
बता दे की प्रमोशन के अधिकार को लेकर कानून में तो कोई प्रावधान उपलब्ध नहीं है और ना ही इसके लिए दावा किया जा सकते हैं लेकिन सरकारी विभागों में ,,, और मेरिट के आधार पर प्रमोशन के मामले देखने में आते हैं
हालांकि यह सरकार का अपना क्राइटेरिया कहे जा सकते हैं वहीं सरकार अपने स्तर पर यह तय कर सकते हैं कि किसी कर्मचारियों को किस पद पर क्या काम लेने हैं ऐसे में प्रमोशन का निर्णय राज्य एवं केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं