Tenancy Law : वर्तमान समय में मकान मालिकों और किराएदारों के बीच अक्सर किसी न किसी बात को लेकर विवाद सामने आते रहते है। वही ऐसी विवाद कोर्ट कचहरीयों में भी चलाते रहते हैं। बता दे कि आप दिल्ली हाई कोर्ट ने मकान मालिकों के हक में ऐतिहासिक फैसला सुनाए है। वहीं इससे किराएदारों को ताजा झटका लगा है। आईए जानते हैं क्या कहा है दिल्ली हाई कोर्ट ने।
बता दे की वर्तमान समय में बहुत सारे व्यक्ति ऐसे हैं जो एक्स्ट्रा कमाई के लिए अपने मकान को किराए पर दे देते हैं। वहीं अनेक व्यक्ति किराए पर रहने के लिए मकान चलाते रहते हैं। बता दे कि किराए पर रहने के दौरान कई बार मकान मालिक एवं किराएदार के बीच विवाद की स्थिति भी बन जाते हैं।
वहीं इसी तरह के एक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने आम फैसला सुना दिए हैं। वहीं इस फैसले से जहां किरायेदारों को तगड़ा झटका लगा है। वही मकान मालिकों को बड़ी राहत मिले है। बता दे की हर किराएदार एवं मकान मालिक के लिए यह फैसला बेहद महत्वपूर्ण होने वाला है। ऐसे में यह लेख को अंत तक जरूर पढ़ते रहें। ताकि आपको इस लेख में बताए गए पूरी जानकारी विस्तार से पता चल सके।
Tenancy Law : दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी
बता दे की कोई किरायेदार अगर किसी मकान मालिक की प्रॉपर्टी में रहते हैं तो वह केवल किराए देकर रहने तक ही सीमित हैं। वही वह मकान मालिक को प्रॉपर्टी का इस्तेमाल करने को लेकर सलाह आदि नहीं दे सकते हैं। ना ही मकान मालिक किराएदार की सलाह मानने के लिए बाध्य होते हैं।
ऐसे में किराएदार मकान का किराया देकर मकान मालिक की प्रॉपर्टी को मकान मालिक की सहमति एवं अनुमति से ही इस्तेमाल कर सकते हैं। बता दे कि दिल्ली हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहे कि अपनी प्रॉपर्टी का उपयोग कैसे करने हैं और घर में कैसे रहने हैं। वही यह मकान मालिक ही तय करेंगे न की किराएदार।
Tenancy Law : किराएदार को छोड़ना पड़ेगा प्रॉपर्टी
बता दे कि जब किसी मकान मालिक को अपने मकान या प्रॉपर्टी की खुद या परिवार के सदस्यों की जरूरत के लिए उपयोग करने हो तो किराएदार को मकान खाली करने ही होंगे। वही जब मकान मालिक का प्रॉपर्टी या मकान खाली करने का मकसद उचित और ईमानदार है तो किराएदार को प्रॉपर्टी छोड़ने पड़ेगे।
वही कोर्ट ने कहे हैं कि किराएदार यह तय नहीं कर सकते हैं कि मकान मालिक अपनी संपत्ति को कैसे इस्तेमाल करेंगे।
बता दे की मकान मालिक की ओर से किराएदार को प्रॉपर्टी से बाहर करने के लिए लगाए गए याचिका पर यह फैसला सुनाए गए हैं। वहीं फैसले के अनुसार 6 महीने के अंदर किराएदार को प्रॉपर्टी छोड़ते हुए मकान खाली करने पड़ेंगे।
Tenancy Law : निचली अदालत ने दिए थे किराएदार को राहत
बता दे कि इस मामले में किराएदार को निचली अदालत से राहत मिले थे। वहीं किराया नियंत्रण अदालत की ओर से फैसले दिए गए थे कि मकान मालिक बीमारी के चलते जगह खाली करवाने के लिए कह रहे हैं लेकिन उसके पास बीमारी से जुड़े पर्याप्त सबुत उपलब्ध नहीं है। वही ये सबूत मकान मालिक पेश नहीं कर पाए।
हाई कोर्ट ने कहां पर्याप्त है मकान मालिक के सबूत
बता दे कि निचली अदालत के इस फैसले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कई अहम टिप्पणी करते हुए असहमाती जताए। वही हाई कोर्ट ने इस मामले में मकान मालिक की ओर से पेश किए गए सबूतों को पुरी स्थिति स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त करार दिए। वही हाई कोर्ट ने निचली अदालत के निर्णय के उलट मकान मालिक के हक में फैसला सुनाए। आईए जानते हैं और जानकारी नीचे की लेख में विस्तार से।
मकान खाली करने से किराएदार ने किए थे मना
बता दे कि यह मामला कई साल पुराना है वहीं इसके अनुसार किराएदार ने एक बुजुर्ग दंपति के मकानो में 1989 से लेकर 2003 तक रहने के बाद मकान खाली करने से मना कर दिए थे। वही मकान मालिक ने किराएदार से मकान खाली करने के लिए कहे थे।
वही याचिका में मकान मालिक की ओर से कह गए थे कि वह बीमारी के चलते अब घर से नरसिंह स्टॉप रखना चाहते हैं। वही उसकी तलाकशुदा बेटी के लिए भी घर में जगह चाहिए। इसीलिए उसे किराएदार को घर से बाहर करना पड़ेगा लेकिन किराएदार घर खाली नहीं कर रहे हैं।
मकान मालिक ने लगाए थे यह गुहार
बता दे की मकान मालिक ने कोर्ट से मकान खाली करने की गुहार लगाए थे। वहीं दूसरी ओर किराएदार ने तर्क दिए थे कि मकान मालिक के पास काफी जगह है। वहीं इसी प्रॉपर्टी में वह किराएदार को निकालना बिना ही नर्सिंग स्टाफ एवं उसकी तलाकशुदा बेटी को रख सकते हैं। वहीं किरदार की इस दलील को हाईकोर्ट ने मना करते हुए मकान मालिक के हक में फैसला सुनाए।